दाल बाटी चूरमा: राजस्थान की शाही थाली का दिल
राजस्थान, जो अपनी शाही विरासत, रंगीन संस्कृति और वीर गाथाओं के लिए जाना जाता है, भोजन के मामले में भी किसी से कम नहीं है। यहां का दाल बाटी चूरमा सिर्फ एक व्यंजन नहीं, बल्कि राजस्थान की आत्मा का प्रतीक है। यह एक ऐसा संगम है जो स्वाद, परंपरा और आतिथ्य को एक साथ परोसता है।
दाल बाटी चूरमा तीन मुख्य घटकों से मिलकर बनता है, जिनमें से प्रत्येक का अपना अलग स्वाद और बनाने की विधि है:
1. दाल: सुगंधित मिश्रण दाल इस थाली का आधार है। इसमें आमतौर पर पांच अलग-अलग दालों का मिश्रण होता है - चना दाल, तुअर दाल, मूंग दाल, मसूर दाल और उड़द दाल। इन दालों को एक साथ पकाया जाता है और फिर घी, हींग, जीरा, प्याज, टमाटर और विभिन्न मसालों का एक सुगंधित तड़का लगाया जाता है। दाल को गाढ़ा और मलाईदार बनाया जाता है ताकि यह बाटी के साथ पूरी तरह से घुलमिल जाए।
2. बाटी: गर्माहट और खस्तापन बाटी गेहूं के आटे से बनी गोल, सख्त रोटियां होती हैं, जिन्हें पारंपरिक रूप से गोबर के उपलों की आग में या आधुनिक तरीकों से ओवन में पकाया जाता है। बाटी को धीमी आंच पर पकाया जाता है ताकि वह अंदर से नरम और बाहर से खस्ता हो जाए। पकने के बाद इन्हें घी में डुबोया जाता है, जिससे इनका स्वाद और भी बढ़ जाता है। घी में डूबी बाटी का हर निवाला एक अलग ही आनंद देता है। बाटी दो तरह की होती हैं - सादी बाटी और मसाला बाटी, जिसमें अजवाइन या अन्य मसाले मिलाए जाते हैं।
3. चूरमा: मीठा और समृद्ध चूरमा इस त्रिवेणी का मीठा और सबसे अनूठा हिस्सा है। यह बाटी को बारीक पीसकर या दरदरा पीसकर बनाया जाता है। पिसी हुई बाटी में ढेर सारा शुद्ध घी, चीनी या गुड़ मिलाया जाता है। कुछ लोग इसमें इलायची पाउडर, सूखे मेवे जैसे बादाम, काजू और किशमिश भी डालते हैं, जिससे इसका स्वाद और भी बढ़ जाता है। चूरमा को अक्सर लड्डू का आकार दिया जाता है या सीधे थाली में परोसा जाता है। यह भोजन के बाद एक मीठे व्यंजन के रूप में कार्य करता है और स्वाद कलिकाओं को संतुष्ट करता है।
निश्चित रूप से! बांसवाड़ा, राजस्थान की इस धरती से, मैं आपको दाल बाटी चूरमा बनाने की विस्तृत प्रक्रिया बताता हूँ: दाल बाटी चूरमा बनाने की विधि दाल बाटी चूरमा, राजस्थान का एक पारंपरिक और स्वादिष्ट व्यंजन है। इसे तीन भागों में बनाया जाता है: दाल, बाटी और चूरमा। नीचे प्रत्येक भाग को बनाने की विस्तृत विधि दी गई है:
1. दाल बनाने की विधि:
सामग्री:
1/4 कप चना दाल
1/4 कप तुअर दाल (अरहर दाल)
1/4 कप मूंग दाल (छिलके वाली या बिना छिलके वाली)
1/8 कप मसूर दाल
1/8 कप उड़द दाल (बिना छिलके वाली)
2-3 बड़े चम्मच घी
1/2 छोटा चम्मच हींग
1 छोटा चम्मच जीरा
1 मध्यम आकार का प्याज, बारीक कटा हुआ
1 इंच अदरक, कद्दूकस किया हुआ
2-3 हरी मिर्च, बारीक कटी हुई
1 मध्यम आकार का टमाटर, बारीक कटा हुआ
1/2 छोटा चम्मच हल्दी पाउडर
1 छोटा चम्मच लाल मिर्च पाउडर (स्वादानुसार)
1 छोटा चम्मच धनिया पाउडर
1/2 छोटा चम्मच गरम मसाला नमक स्वादानुसार बारीक कटा हुआ
हरा धनिया, सजावट के लिए
पानी आवश्यकतानुसार
विधि: सभी दालों को अच्छी तरह से धो लें और लगभग 30 मिनट के लिए पानी में भिगो दें। भीगी हुई दालों को कुकर में डालें। आवश्यकतानुसार पानी, हल्दी पाउडर और थोड़ा सा नमक डालकर मिलाएँ। कुकर का ढक्कन बंद करें और मध्यम आंच पर 3-4 सीटी आने तक पकाएँ। जब कुकर का प्रेशर निकल जाए, तो ढक्कन खोलें और दाल को हल्का सा मैश कर लें। एक पैन या कड़ाही में घी गरम करें। जब घी गरम हो जाए, तो हींग और जीरा डालें। जीरा चटकने के बाद बारीक कटा हुआ प्याज डालें और सुनहरा होने तक भूनें। अब कद्दूकस किया हुआ अदरक और बारीक कटी हुई हरी मिर्च डालकर कुछ सेकंड के लिए भूनें। बारीक कटा हुआ टमाटर डालें और नरम होने तक पकाएँ। हल्दी पाउडर, लाल मिर्च पाउडर और धनिया पाउडर डालकर अच्छी तरह से मिलाएँ और कुछ सेकंड के लिए भूनें ताकि मसाले पक जाएं। पके हुए मसाले में मैश की हुई दाल डालें। आवश्यकतानुसार पानी और नमक डालकर मिलाएँ। दाल को धीमी आंच पर 5-7 मिनट तक उबलने दें। अंत में गरम मसाला और बारीक कटा हुआ हरा धनिया डालकर मिलाएँ। दाल तैयार है।
2. बाटी बनाने की विधि:
सामग्री:
2 कप गेहूं का आटा
1/4 कप सूजी (रवा)
2 बड़े चम्मच घी या तेल
1/2 छोटा चम्मच अजवाइन चुटकी भर
बेकिंग सोडा (वैकल्पिक)
नमक स्वादानुसार
पानी आवश्यकतानुसार
घी, बाटी को डुबोने के लिए
विधि: एक बड़े बर्तन में गेहूं का आटा और सूजी लें। इसमें घी या तेल, अजवाइन, बेकिंग सोडा (यदि इस्तेमाल कर रहे हैं) और नमक डालकर अच्छी तरह से मिलाएँ। थोड़ा-थोड़ा पानी डालकर सख्त आटा गूंथ लें। आटा चिकना और लोचदार होना चाहिए। आटे को ढककर 15-20 मिनट के लिए रख दें। अब आटे की छोटी-छोटी गोल लोइयां बना लें। लोइयों को थोड़ा चपटा कर लें। पारंपरिक विधि (उपले या ओवन): यदि आप पारंपरिक तरीके से बना रहे हैं, तो गरम उपलों की आग में या प्रीहीटेड ओवन में 180°C (350°F) पर बाटी को सुनहरा और अंदर से पकने तक बेक करें। इसमें लगभग 20-30 मिनट लग सकते हैं। बीच-बीच में पलटते रहें। आधुनिक विधि (पानी में उबालकर और फिर बेक करके): एक बड़े बर्तन में पानी उबालें। उबलते हुए पानी में बाटी डालें और 10-15 मिनट तक उबलने दें। बाटी फूलकर ऊपर आ जाएगी। उबली हुई बाटी को पानी से निकालकर थोड़ा ठंडा होने दें। अब प्रीहीटेड ओवन में 180°C (350°F) पर या तंदूर में बाटी को सुनहरा और खस्ता होने तक बेक करें। आप चाहें तो तवे पर धीमी आंच पर घी डालकर भी सेक सकते हैं। पकी हुई गरम बाटी को घी में अच्छी तरह से डुबो दें।
चूरमा बनाने की विधि:
सामग्री:
4-5 पकी हुई बाटियाँ
1/2 कप पिसी हुई चीनी या गुड़ (स्वादानुसार)
1/2 कप शुद्ध घी (पिघला हुआ)
1/4 कप कटे हुए सूखे मेवे (बादाम, काजू, किशमिश, पिस्ता)
1/4 छोटा चम्मच इलायची पाउडर
विधि: घी में डूबी हुई बाटियों को थोड़ा ठंडा होने दें। हाथों से या फूड प्रोसेसर में बाटियों को अच्छी तरह से मसलकर या पीसकर बारीक चूरा बना लें। ध्यान रखें कि इसमें बड़े टुकड़े न रहें। एक बड़े बर्तन में बाटी का चूरा निकाल लें। इसमें पिसी हुई चीनी या गुड़ डालें और अच्छी तरह से मिलाएँ। पिघला हुआ घी थोड़ा-थोड़ा करके डालें और अच्छी तरह से मिलाते जाएं ताकि चूरमा घी को सोख ले और नम हो जाए। कटे हुए सूखे मेवे और इलायची पाउडर डालकर अच्छी तरह से मिलाएँ। चूरमा को लड्डू का आकार भी दिया जा सकता है या ऐसे ही परोसा जा सकता है। परोसने का तरीका: दाल बाटी चूरमा को एक थाली में परोसा जाता है। सबसे पहले दाल को एक कटोरी में रखें। घी में डूबी हुई बाटियों को थाली में रखें और चूरमा को भी एक तरफ रखें। इसके साथ आप प्याज, हरी मिर्च का अचार और छाछ भी परोस सकते हैं। यह पारंपरिक व्यंजन को पूरे राजस्थान में बहुत पसंद किया जाता है। उम्मीद है कि यह विस्तृत विधि आपको दाल बाटी चूरमा बनाने में मदद करेगी! अगर आपके कोई और प्रश्न हैं तो पूछने में संकोच न करें।