महाराष्ट्र के भाषा विवाद पर सीएम देवेंद्र फडणवीस की प्रतिक्रिया: गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं
महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर छिड़े हालिया विवाद और विशेषकर मारपीट की घटनाओं के बाद, मुख्यमंत्री (CM) देवेंद्र फडणवीस ने कड़ा रुख अपनाया है |
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस स्पष्ट शब्दों में कहा है कि मराठी भाषा का सम्मान करना गलत नहीं है, लेकिन भाषा के नाम पर किसी भी प्रकार की गुंडागर्दी या हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह बयान ऐसे समय में आया है जब मनसे प्रमुख राज ठाकरे और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) प्रमुख उद्धव ठाकरे मराठी अस्मिता के मुद्दे पर एक साथ आए हैं, और कुछ कथित वीडियो भी वायरल हुए हैं जिनमें मराठी न बोलने पर लोगों के साथ मारपीट की गई।
मुख्यमंत्री का दो टूक संदेश:
देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र विधानसभा के मौजूदा सत्र के दौरान और मीडिया से बातचीत में इस मुद्दे पर अपनी सरकार का रुख साफ किया। उन्होंने कहा:
"मराठी भाषा का अभिमान रखना कोई गलत बात नहीं है।" उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मराठी महाराष्ट्र की पहचान है और उसका सम्मान होना चाहिए।
"लेकिन भाषा के चलते अगर कोई गुंडागर्दी करेगा तो इसको हम सहन नहीं करने वाले।" उन्होंने साफ तौर पर चेतावनी दी कि भाषा के नाम पर कानून को हाथ में लेने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
कानूनी कार्रवाई का आश्वासन: फडणवीस ने बताया कि इस प्रकार की घटनाओं पर पुलिस ने FIR दर्ज की है और आगे भी अगर कोई ऐसी हरकत करेगा तो उसके खिलाफ कानून के तहत कार्रवाई होगी।
अन्य भाषाओं का सम्मान: उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मराठी के साथ-साथ भारत की अन्य भाषाओं का भी सम्मान होना चाहिए और किसी भी भाषा के साथ अन्याय नहीं किया जा सकता। उन्होंने सवाल उठाया कि जब अन्य राज्यों में मराठी भाषी लोगों को वहां की भाषा न आने पर पीटा नहीं जाता, तो महाराष्ट्र में ऐसा क्यों किया जा रहा है।
- हिंदी अनिवार्यता पर यू-टर्न: यह उल्लेखनीय है कि भाषा विवाद की शुरुआत सरकार के उस प्रस्ताव से हुई थी जिसमें कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाने की बात थी। राज और उद्धव के कड़े विरोध के बाद, फडणवीस सरकार ने इस आदेश को वापस ले लिया और अब एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है जो त्रि-भाषा नीति के क्रियान्वयन की सिफारिशें देगी। फडणवीस ने कहा है कि उनकी सरकार किसी भी छात्र पर कोई भाषा थोपेगी नहीं।
ठाकरे बंधुओं के मिलन पर फडणवीस का रुख:
राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के लगभग 19 साल बाद एक मंच पर आने और मराठी अस्मिता के मुद्दे पर एकजुटता दिखाने पर भी देवेंद्र फडणवीस ने प्रतिक्रिया दी है। शुरुआती बयानों में, जब उनके एक साथ आने की अटकलें थीं, फडणवीस ने कहा था कि "हमें खुशी है कि ठाकरे बंधु एक साथ आ रहे हैं।"
हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि वह "बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना बनने में इंटरेस्टेड नहीं हैं।" यह दर्शाता है कि फडणवीस इस राजनीतिक मिलन को एक चुनौती के रूप में देखते हैं, लेकिन सीधे तौर पर उस पर टिप्पणी करने से बच रहे हैं, बल्कि कानून-व्यवस्था और सरकारी नीतियों पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
मारवाड़ी समुदाय पर अप्रत्यक्ष संदेश:
हालांकि मुख्यमंत्री ने सीधे तौर पर "मारवाड़ी समुदाय" का नाम नहीं लिया, लेकिन उनकी यह टिप्पणी कि "कोई अगर भाषा के आधार पर मारपीट करेगा तो यह सहन नहीं किया जाएगा" और "हमारे मराठी भाई कई जगहों पर व्यापार करते हैं, अगर उन्हें वहां की भाषा न आए तो क्या उनके साथ ऐसा व्यवहार किया जाना चाहिए?" सीधे तौर पर उन हिंदी भाषी और प्रवासी व्यापारियों को संदर्भित करती है, जिनमें मारवाड़ी समुदाय भी शामिल है, जिन्हें हालिया घटनाओं में निशाना बनाया गया था। यह मारवाड़ी समुदाय और अन्य गैर-मराठी भाषियों को सुरक्षा का आश्वासन देने जैसा है।
निष्कर्ष:
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का बयान इस बात पर जोर देता है कि सरकार मराठी भाषा के सम्मान के साथ खड़ी है, लेकिन वह भाषा के नाम पर होने वाली किसी भी प्रकार की गुंडागर्दी या हिंसा को बर्दाश्त नहीं करेगी। यह संतुलन बनाने का प्रयास है, जहां एक ओर मराठी अस्मिता के भावनात्मक मुद्दे को स्वीकार किया गया है, वहीं दूसरी ओर राज्य में कानून-व्यवस्था और सभी समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का भी संकल्प दोहराया गया है। यह देखना होगा कि उनके इस स्पष्ट संदेश का मराठी भाषा आंदोलन और महाराष्ट्र की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है।