महाराष्ट्र में मराठी भाषा का मुद्दा और वायरल वीडियो: एक गरमाई हुई बहस
महाराष्ट्र में मराठी भाषा का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है, और इस बार यह विवाद केवल राजनीतिक गलियारों तक सीमित नहीं है, बल्कि एक वायरल वीडियो ने इसे आम जनता के बीच भी तीखी बहस का विषय बना दिया है।
राज्य सरकार द्वारा प्राथमिक कक्षाओं में हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाने के प्रस्ताव (जिसे बाद में वापस ले लिया गया) ने मराठी अस्मिता के पैरोकारों को एकजुट कर दिया, और इसी के परिणामस्वरूप सड़कों पर कुछ अप्रिय घटनाएं भी देखने को मिलीं, जिनके वीडियो तेजी से वायरल हुए।
विवाद की पृष्ठभूमि:
महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में एक आदेश जारी किया था, जिसमें कक्षा 1 से 5 तक के मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा के रूप में पढ़ाने की बात कही गई थी। हालांकि सरकार ने बाद में इसे वैकल्पिक कर दिया, लेकिन इस शुरुआती आदेश ने मराठी संगठनों और राजनेताओं में भारी रोष पैदा कर दिया। उनका तर्क था कि यह मराठी भाषा पर हिंदी को थोपने का प्रयास है, जिससे मराठी संस्कृति और पहचान को खतरा होगा।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे, जो हमेशा से मराठी मानुस और मराठी अस्मिता के मुखर समर्थक रहे हैं, ने इस आदेश का कड़ा विरोध किया। उन्होंने तुरंत आंदोलन का ऐलान किया और अपने कार्यकर्ताओं से मराठी के सम्मान के लिए सड़कों पर उतरने का आह्वान किया।
वायरल वीडियो और हिंसक झड़पें:
इसी आंदोलन के दौरान, मुंबई के मीरा रोड और ठाणे जैसे इलाकों से कुछ वीडियो सामने आए, जो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। इन वीडियो में कथित तौर पर मनसे कार्यकर्ताओं को कुछ हिंदी भाषी दुकानदारों या कर्मचारियों के साथ मारपीट करते हुए देखा गया। एक वायरल वीडियो में तो मीरा रोड पर एक फास्ट फूड शॉप के कर्मचारी को कथित तौर पर मराठी न बोलने पर थप्पड़ मारते हुए दिखाया गया है। इसी तरह ठाणे में भी मराठी न बोलने पर दुकानदार के साथ मारपीट की खबरें आईं, जिसके वीडियो भी वायरल हुए।
ये वीडियो सामने आने के बाद राजनीतिक दलों और आम जनता के बीच तीखी बहस छिड़ गई। जहां मनसे समर्थकों ने इसे मराठी अस्मिता के लिए आवश्यक कार्रवाई बताया, वहीं भाजपा सहित कई अन्य दलों ने इसकी कड़ी निंदा की। उन्होंने इसे गुंडागर्दी करार दिया और कानून-व्यवस्था बनाए रखने की अपील की। महाराष्ट्र सरकार के मंत्रियों ने भी कानून को हाथ में न लेने की बात कही, लेकिन साथ ही यह भी दोहराया कि मराठी भाषा का सम्मान होना चाहिए।
विवाद के निहितार्थ:
- बढ़ता ध्रुवीकरण: वायरल वीडियो और उसके बाद की प्रतिक्रियाओं ने महाराष्ट्र में भाषाई आधार पर ध्रुवीकरण को और बढ़ा दिया है।
- कानून-व्यवस्था पर सवाल: मारपीट की घटनाओं ने राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर भी सवाल खड़े किए हैं।
- राजनीतिक लाभ की कोशिश: दोनों ठाकरे बंधुओं का एक साथ आना आगामी मुंबई महानगर पालिका चुनावों को देखते हुए एक बड़ा राजनीतिक कदम माना जा रहा है, जिसका उद्देश्य मराठी वोटबैंक को फिर से एकजुट करना है।
- मराठी अस्मिता का केंद्र में आना: यह विवाद एक बार फिर इस बात को साबित करता है कि महाराष्ट्र में मराठी भाषा और पहचान का मुद्दा आज भी कितना संवेदनशील और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।
हालांकि सरकार ने हिंदी को अनिवार्य करने का फैसला वापस ले लिया है, लेकिन मराठी भाषा को लेकर छिड़ी यह बहस और इससे जुड़े वायरल वीडियो ने महाराष्ट्र के सामाजिक और राजनीतिक ताने-बाने में एक नया तनाव पैदा कर दिया है। यह देखना बाकी है कि यह भाषाई जुनून कब तक शांत होता है और इसका राज्य की भविष्य की राजनीति पर क्या दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है।