महाराष्ट्र में मारवाड़ी समुदाय का बढ़ता आक्रोश: भाषा विवाद और विरोध प्रदर्शन
महाराष्ट्र में हाल ही में मराठी भाषा को लेकर छिड़े विवाद ने एक बार फिर प्रवासी समुदायों, विशेषकर मारवाड़ी समुदाय, को सुर्खियों में ला दिया है।
राज्य सरकार के हिंदी को अनिवार्य भाषा बनाने के प्रस्ताव (जिसे बाद में वापस ले लिया गया) के बाद, मराठी अस्मिता के नाम पर कुछ अप्रिय घटनाएं सामने आईं, जिनमें हिंदी भाषी माने जाने वाले व्यापारियों, जिनमें कई मारवाड़ी समुदाय से थे, को निशाना बनाया गया। इन घटनाओं के वायरल वीडियो ने मारवाड़ी समुदाय में भारी आक्रोश पैदा किया है, और इसके जवाब में महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में विरोध रैलियां और एकजुटता प्रदर्शन देखने को मिल रहे हैं।
मराठी भाषा विवाद और मारवाड़ी समुदाय पर असर:
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) द्वारा मराठी भाषा के पक्ष में चलाए गए आंदोलन के दौरान, ऐसी खबरें और वीडियो सामने आए जिनमें कथित तौर पर मनसे कार्यकर्ताओं द्वारा कुछ दुकानदारों और कर्मचारियों के साथ मारपीट की गई, क्योंकि वे मराठी नहीं बोल रहे थे। इन घटनाओं से मारवाड़ी समुदाय में भय और नाराजगी फैल गई है, जो दशकों से महाराष्ट्र को अपनी कर्मभूमि बनाकर व्यापार और उद्योग में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
मीरा रोड और ठाणे जैसे इलाकों में हुई घटनाओं ने मारवाड़ी व्यापारियों को अपनी सुरक्षा और सम्मान को लेकर चिंतित कर दिया है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में एक मारवाड़ी व्यापारी को मराठी न बोलने पर कथित तौर पर पीटे जाने का दावा किया गया, जिसने समुदाय के भीतर गुस्से की लहर पैदा कर दी।
आक्रोश में मारवाड़ी रैलियां और एकजुटता:
इन घटनाओं के जवाब में, महाराष्ट्र के विभिन्न शहरों में मारवाड़ी समुदाय ने एकजुटता दिखाई है। व्यापारियों, सामाजिक संगठनों और महिलाओं ने सड़कों पर उतरकर इन हमलों की निंदा की है और न्याय की मांग की है।
मीरा रोड और भाईंदर में विरोध: मीरा रोड और भाईंदर जैसे क्षेत्रों में, जहाँ मारवाड़ी समुदाय की बड़ी आबादी है, व्यापारियों ने अपनी दुकानें बंद करके विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखी और प्रशासन से दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
महिलाओं का मुखर विरोध: कुछ वायरल वीडियो में, मारवाड़ी महिलाएं भी इन घटनाओं के खिलाफ मुखर रूप से आवाज उठाती दिखीं। उन्होंने कहा कि "मराठी आए या न आए, किसी को मारने का हक किसी को नहीं है।" उन्होंने अपने समुदाय के सम्मान और सुरक्षा की मांग की।
सामाजिक संगठनों की सक्रियता: अखिल भारतीय मारवाड़ी सम्मेलन, मारवाड़ी युवा मंच जैसे प्रमुख सामाजिक संगठन इन घटनाओं पर सक्रिय हो गए हैं। वे सरकार और प्रशासन से संपर्क कर रहे हैं ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों और व्यापारियों को सुरक्षा मिले। इन संगठनों का कहना है कि मारवाड़ी समुदाय ने महाराष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और वे यहाँ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व में विश्वास रखते हैं।
मारवाड़ी समुदाय का महाराष्ट्र में योगदान:
मारवाड़ी समुदाय दशकों से महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था का एक अभिन्न अंग रहा है। वे न केवल व्यापार और उद्योग में, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कार्यों में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान देते रहे हैं। उनकी कड़ी मेहनत, उद्यमिता और व्यावसायिक कौशल ने महाराष्ट्र के आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभाई है। "जहां न पहुंचे बैलगाड़ी, वहां पहुंचे मारवाड़ी" यह कहावत उनकी उद्यमिता को दर्शाती है।
आगे की राह:
मराठी भाषा का सम्मान अत्यंत महत्वपूर्ण है, और हर समुदाय को स्थानीय भाषा सीखने और उसका सम्मान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। हालांकि, भाषा के नाम पर किसी भी प्रकार की हिंसा या उत्पीड़न अस्वीकार्य है। महाराष्ट्र अपनी विविध संस्कृति और विभिन्न समुदायों के सह-अस्तित्व के लिए जाना जाता है।
मारवाड़ी समुदाय की यह रैलियां और विरोध प्रदर्शन इस बात का संकेत हैं कि वे अपनी सुरक्षा और सम्मान के लिए एकजुट हैं। यह महाराष्ट्र सरकार और प्रशासन के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है कि उन्हें सभी समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए और कानून-व्यवस्था को बनाए रखना चाहिए। यह घटना दर्शाती है कि भाषाई अस्मिता के मुद्दे को संवेदनशील तरीके से संभालने की आवश्यकता है ताकि राज्य में शांति और सौहार्द बना रहे।