काबुल में भारतीय डॉक्टरों ने 100 विकलांग अफगान नागरिकों को दिए नए पैर, बिखेरी मुस्कान
काबुल, अफगानिस्तान: मानवीय सहायता के प्रति भारत की अटूट प्रतिबद्धता को एक बार फिर दर्शाते हुए, भारतीय डॉक्टरों के एक दल ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एक विशेष 'जयपुर फुट' शिविर का आयोजन किया।
काबुल, अफगानिस्तान: मानवीय सहायता के प्रति भारत की अटूट प्रतिबद्धता को एक बार फिर दर्शाते हुए, भारतीय डॉक्टरों के एक दल ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एक विशेष 'जयपुर फुट' शिविर का आयोजन किया। इस शिविर में लगभग 100 विकलांग अफगान नागरिकों को कृत्रिम अंग (जयपुर फुट) लगाकर उन्हें नई जिंदगी दी गई। यह पहल युद्ध, पोलियो या अन्य कारणों से अपने अंग गंवा चुके लोगों के लिए उम्मीद की एक नई किरण लेकर आई है।
मानवीयता का संदेश:
इस अभियान का मुख्य उद्देश्य उन लोगों की मदद करना था, जिन्होंने संघर्षों और दुर्भाग्य के कारण अपने हाथ-पैर खो दिए थे। भारतीय डॉक्टरों ने इन लोगों को केवल कृत्रिम अंग ही नहीं लगाए, बल्कि उन्हें दोबारा चलने-फिरने और आत्मनिर्भर बनने का आत्मविश्वास भी प्रदान किया। शिविर में कृत्रिम अंग लगने के बाद कई अफगान नागरिक खुशी से झूमते और दौड़ते देखे गए, जिससे भारत के इस मानवीय कार्य की सार्थकता स्पष्ट होती है।
"जयपुर फुट" की महत्ता:
यह शिविर भारत की प्रतिष्ठित संस्था भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति (BMVSS) द्वारा आयोजित किया गया, जो अपने किफायती और प्रभावी 'जयपुर फुट' के लिए विश्वभर में जानी जाती है। जयपुर फुट एक हल्के और टिकाऊ कृत्रिम अंग होते हैं, जो उपयोगकर्ताओं को सामान्य जीवन जीने में मदद करते हैं, जिसमें चलना, दौड़ना और दैनिक कार्य करना शामिल है।
भारत-अफगानिस्तान संबंधों में एक नया अध्याय:
यह पहल भारत और अफगानिस्तान के बीच गहरे मानवीय संबंधों का प्रतीक है। भारत हमेशा से अफगानिस्तान के लोगों के साथ खड़ा रहा है और विभिन्न क्षेत्रों में सहायता प्रदान करता रहा है, चाहे वह विकास परियोजनाएं हों या मानवीय संकट के समय मदद। काबुल में आयोजित यह शिविर दर्शाता है कि भारत राजनीतिक परिस्थितियों से परे होकर अफगानिस्तान की जनता की भलाई के लिए प्रतिबद्ध है।
इस नेक कार्य से न केवल सैकड़ों अफगान नागरिकों को शारीरिक रूप से सशक्त बनाया गया है, बल्कि उन्हें मानसिक और भावनात्मक रूप से भी सहारा मिला है। यह भारत की 'वसुधैव कुटुंबकम्' की भावना का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो संकटग्रस्त मानव जाति के प्रति करुणा और सेवा के महत्व को रेखांकित करता है।